| शब्द का अर्थ | 
					
				| पश्चात् कर्म (र्मन्)					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] वैद्यक के अनुसार वह कर्म जिससे रोगी के स्वस्थ होने के उपरान्त उसके शरीर के बल, वर्ण और अग्नि की वृद्धि होती हो। भिन्न-भिन्न रोगों से मुक्त होने पर भिन्न-भिन्न पश्चात् कर्म बतलाये गये हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पश्चात् कर्म (र्मन्)					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] वैद्यक के अनुसार वह कर्म जिससे रोगी के स्वस्थ होने के उपरान्त उसके शरीर के बल, वर्ण और अग्नि की वृद्धि होती हो। भिन्न-भिन्न रोगों से मुक्त होने पर भिन्न-भिन्न पश्चात् कर्म बतलाये गये हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |